दिल्ली का माहौल क्या कह रहा है देखें
नई दिल्ली। दिल्ली में आम आदमी पार्टी लगातार तीसरी जीत के लिए विधानसभा चुनाव में जोर आजमाइश कर रही है। वह प्रमुख रूप से शिक्षा-स्वास्थ्य और बिजली-पानी के क्षेत्र में किए गए कामों के आधार पर लोगों से वोट मांग रही है। हालांकि, प्रचार के दौरान विपक्षी दलों की ओर से उसे करारे प्रहार झेलने पड़ रहे हैं। यहां तक कि उसके मुखिया अर्रंवद केजरीवाल को आतंकवादी तक कहा गया है। ऐसे में पार्टी को अपने काम पर कितना भरोसा है और विपक्षी हमले से बचते हुए वह कैसे चुनाव में सफल होगी, इन्हीं विषयों को लेकर सौरभ श्रीवास्तव व वीके शुक्ला ने आम आदमी पार्टी के संयोजक व मुख्यमंत्री अर्रंवद केजरीवाल से विशेष बातचीत की है। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश….
दिल्ली का माहौल क्या कह रहा है?
– ये चुनाव देश के लिए भी कई मायनों में महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये चुनाव इस देश में एक नई तरह की राजनीति को जन्म देगा, जिसका नाम है काम की राजनीति। 70 साल में देश में किसी भी पार्टी ने किसी भी राज्य में अपने काम पर वोट नहीं मांगा। आज तक किसी भी पार्टी ने ये नहीं कहा कि आप हमें इसलिए वोट दीजिए कि हमने स्कूल व मोहल्ला क्लीनिक बनवा दिए। हमने बिजली मुफ्त और सस्ती कर दी व हमने पानी मुफ्त कर दिया। यदि ये राजनीति सफल होती है, तो इसका असर पूरे देश में देखने को मिलेगा। फिर दूसरी पार्टियों को अपने-अपने राज्य में काम करके दिखाना पड़ेगा।
इस बार आप कितनी सीटें मिलने की उम्मीद कर रहे हैं?
– जनता जितनी दे देगी उसी से काम चला लेंगे। जनता यदि हमें 40 सीटें देती है तो हम 40 से काम चला लेंगे और जनता कहेगी कि 70 सीटों से सरकार चलाओ तो हम 70 से सरकार चलाएंगे।
पिछले चुनाव में आपने 67 सीटें जीती थीं, क्या इतनी बड़ी जीत का इस बार दबाव है?
– नहीं, मेरे ऊपर ऐसा कोई दबाव नहीं है। हमारे मन में केवल एक ही बात है कि दिल्ली का विकास कैसे हो। हमने पांच साल दिल्ली की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में बिताए। स्कूल ठीक किए, अस्पताल ठीक किए, बिजली ठीक की, पानी ठीक किया। नालियां व गलियां बनवाईं। अगले पांच साल में हम दिल्ली को विश्व स्तर का शहर बनाना चाहते हैं। हम ऐसी दिल्ली बनाएंगे, जिस पर पूरे देश को गर्व होगा। ये 21वीं सदी की दिल्ली होगी।
आपका चुनावी घोषणा पत्र दो भागों में क्यों आया है?
– दो भागों में इसलिए आया है कि एक भाग में हमने वो दस कार्य दिए हैं, जिनकी हमने गारंटी ली है। ये वो कार्य हैं, जो हम अपने स्तर पर कर सकते हैं। इनके लिए हमें किसी के पास जाने की जरूरत नहीं है। वहीं, दूसरे भाग में 28 बिंदु ऐसे हैं, जिनमें से कुछ पर हमें केंद्र सरकार के साथ मिलकर काम करना होगा, ये सिर्फ हमारे स्तर के नहीं हैं, जैसे जनलोकपाल बिल या स्वराज बिल में केंद्र सरकार से मिलकर काम करना होगा। लेकिन, चाहे हमें केंद्र सरकार के पास जाना पड़े, इन्हें भी हम पूरा कराएंगे।
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट की केंद्र सरकार की घोषणा का दिल्ली के चुनाव पर क्या असर पड़ेगा?
– मंदिर बनेगा, इसका हम स्वागत करते हैं। उन्होंने चुनाव से पहले घोषणा की, इससे हमें कोई आपत्ति नहीं है। केंद्र सरकार के किसी अच्छे निर्णय पर हमें कोई सवाल नहीं उठाना है।
चुनाव के अंतिम चरण में आकर अचानक हनुमान चालीसा का जिक्र क्यों?
हनुमान चालीसा सबको पढ़ना चाहिए। हनुमान चालीसा पढ़ने पर क्यों आपत्ति हो रही है। उनको (भाजपा वालों को) भी पढ़ना चाहिए। भाजपा वाले तो पढ़ते नहीं हैं, वे फर्र्जी ंहदू हैं। मेरा मानना है कि यदि वे भी हनुमान चालीसा पढ़ेंगे तो उनकी भाषा में संयम आएगा, मर्यादा आएगी। वो लोग गाली गलौज की जो राजनीति कर रहे हैं। उसे करना बंद कर देंगे तो उन्हें शांति का अनुभव होगा।
आप के चुनाव प्रचार में जो आक्रामकता पूर्व में दिखाई देती थी, वह इस बार नहीं दिख रही है?
(हंसते हुए) ये अच्छी बात है या खराब बात है। ये तो अच्छी ही बात है।
आप स्कूल, अस्पताल, बिजली और पानी में किए गए काम को लेकर वोट मांग रहे हैं, लेकिन भाजपा आपके दावों को गलत बता रही है?
– भाजपा वालों ने एक स्कूल की खराब दशा बताते हुए वीडियो निकाला फिर मीडिया ने ही जाकर देखा, तो वीडियो झूठा निकला। ऐसे ही मोहल्ला क्लीनिक का एक वीडियो निकाला, वो भी झूठा निकला। भाजपा को लोगों ने नगर निगम चलाने की जिम्मेदारी दी है। हो क्या रहा है, 15 साल में उनको एक ही काम दिया गया कि दिल्ली की सफाई कर दो, उनसे वो नहीं हुआ। उन्हें दिल्ली पुलिस की जिम्मेदारी दी, वो उनसे नहीं हुआ। डीडीए की जिम्मेदारी दी, वो उनसे नहीं हो रहा है। दूसरी तरफ हमारे काम हैं। वे अपने काम तो गिना नहीं पा रहे हैं, हमारे कामों में नुक्स नहीं निकाल पा रहे हैं। अब वे पूरा का पूरा चुनाव हिंदू-मुस्लिम पर करने की कोशिश कर रहे हैं। हम कहते हैं स्कूल बनाएंगे तो वे कहते हैं शाही बाग। हम कहते हैं अस्पताल बनाएंगे तो वे कहते हैं शाहीन बाग। हम कहते हैं कि सड़कें बनाएंगे तो वे कहते हैं शाहीन बाग।
आप कह रहे थे कि पूरा चुनाव विकास के मुद्दे पर लड़ेंगे, फिर आप भी शाहीन बाग पर क्यों आ गए?
– शाहीन बाग की राजनीति वे (भाजपा के लोग) कर रहे हैं, हम तो जनता के सामने उनका नकाब उतार रहे हैं। शाहीन बाग का क्या मुद्दा है, इसे समझना होगा। वहां पर कुछ लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। उन प्रदर्शनकारियों ने एक सड़क को बंद किया हुआ है। वो सड़क खुलनी चाहिए। उसकी वजह से लोगों को तकलीफ हो रही है। बच्चों की बसें नहीं जा पा रही हैं। एंबुलेंस नहीं जा पा रही हैं। जो लोग आधे घंटे में दफ्तर पहुंच जाया करते थे, उन्हें तीन-तीन घंटे लग रहे हैं। ऐसा होते हुए डेढ़ महीने से अधिक हो गया है। वो सड़क उनको (केंद्र सरकार को) खुलवानी है। गृह मंत्री अमित शाह जी इस देश के सबसे ताकतवर आदमी हैं। मैं यह नहीं मान सकता कि अमित शाह जी एक सड़क नहीं खुलवा सकते। अमित शाह जी चाहें तो एक घंटे में सड़क खुलवा सकते हैं। वो गंदी राजनीति कर रहे हैं। इस मुद्दे को चुनाव तर्क जिंदा रखने के लिए उन्होंने कितने लोगों को तकलीफ दे रखी है। यदि आज शाहीन बाग की सड़क खुल जाए तो भाजपा के नेताओं के पास बात करने के लिए कुछ नहीं बचेगा। ये गंदी राजनीति सबके सामने है। जनता समझ रही है कि शाहीन बाग का मुद्दा तो चुनाव बाद खत्म हो जाएगा, लेकिन केजरीवाल पांच साल तक उनके काम आएगा।
शाहीन बाग में गोली चलाने वाला व्यक्ति आपकी पार्टी का निकला, इसे कैसे देखते हैं?
– अगर कोई आदमी गलत कर रहा है तो उसे जेल भेजो, प्रेस कांफ्रेंस क्यों कर रहे हो। अगर वह व्यक्ति आम आदमी पार्टी का निकलता है तो यदि 10 साल की सजा बनती है तो उसे 20 साल की सजा दो। चुनाव से 48 घंटे पहले इस किस्म की प्रेस कांफ्रेंस गंदी, तुच्छ और नीच किस्म की राजनीति है। आप देश की राजधानी की कानून व्यवस्था के साथ गंदी राजनीति कर रहे हैं। पूरा देश देख रहा है कि चुनाव से 48 घंटे पहले आप इस तरह की प्रेस कांफ्रेंस क्यों करवा रहे हैं।