ऋतम्भरा ने कहा मैं रहूं या ना रहूं भारत यह रहना चाहिए
सिलसिला ये बाद मेरे यूं ही चलना चाहिए, मैं रहूं या ना रहूं भारत यह रहना चाहिए’। ये राष्ट्र के प्रति चिंतन का वक्त है। राष्ट्रीय संदर्भों में मेरी भूमिका क्या है, इसके मंथन का वक्त है। आज समय वह हो गया है कि व्यक्ति स्वहित को सबसे ऊपर समझने लगा है, हमें फिर से सबसे ऊपर धर्म को स्थान देना होगा, कर्तव्य को स्थान देना होगा। यह बात ओजस्वी वक्ता प्रखर व्यक्तित्व की साध्वी ऋतम्भरा ने सोमवार शाम उदयपुर के टाउन हॉल स्थित सुखाडिय़ा रंगमंच पर आयोजित ‘वात्सल्य वाणी राष्ट्र के नाम’ कार्यक्रम में कही। उन्होंने कहा कि इसके लिए नई पीढ़ी को हमारे धर्म और गौरवशाली अतीत की पहचान करानी होगी। इसके लिए माताएं सीता मैया की तरह अपनी संतानों को लव-कुश जैसे संस्कार प्रदान करें।
साध्वी ने कहा- शिक्षा व्यवस्था सिर्फ बाबू पैदा कर रही है
साध्वी ने कहा हमारी संतानों का स्वाद बदल दिया गया है। भारत के गौरवशाली अतीत को भुलवाकर उन्हें सिर्फ बाहर से आए आक्रमणकारियों का इतिहास पढ़ाया गया है जिससे हमारी संस्कृति की बुनियाद कमजोर हो रही है। शिक्षा व्यवस्था सिर्फ बाबू पैदा कर रही है, बच्चों को भारतीय संस्कारों से परिपूर्ण करना होगा। उनके चरित्र को मजबूत करना होगा। उन्होंने आह्वान किया कि माताओं का दायित्व है कि उन्हें संतानों को सनातन संस्कृति का परिचय करवाकर भारतीय बनाना होगा।
‘शत्रु से कह दो जरा सीमा में रहना सीख ले, यह मेरा भारत अमर है यह सत्य सीख ले’
साध्वी ने ‘मैं रहूं या ना रहूं, भारत यह रहना चाहिए’ गीत को सुर दिए तो पूरे सभागार ने उनके साथ सुर मिलाया। उनके भावपूर्ण सुरों के बीच कई लोग भावुक हो उठे। ‘शत्रु से कह दो जरा सीमा में रहना सीख ले, यह मेरा भारत अमर है यह सत्य सीख ले, भक्ति की इस शक्ति को बढ़ कर दिखाना चाहिए, मैं रहूं या ना रहूं भारत यह रहना चाहिए’ गीत की इन पंक्तियों ने पूरे सभागार में मानो जोश भर दिया और सभी ने समवेत सुरों में इन पंक्तियों को दोहराया।
साध्वी ने कहा- हम स्त्री मुक्ति के नहीं स्त्री शक्ति के चिंतक हैं
उन्होंने कहा कि हम स्त्री मुक्ति के नहीं स्त्री शक्ति के चिंतक हैं। दया पर आधारित व्यवस्था कुछ फायदा नहीं देती। वृद्धाश्रम, अनाथालय, नारी निकेतन से देश खड़ा नहीं हो सकता। किसी जरूरतमंद को दया नहीं, बल्कि आजीविका लायक बनाकर अपने पैरों पर खड़ा करना होगा। उदारता सिर्फ बातों से नहीं, बल्कि आचरण से झलकनी चाहिए।
देश में नारी निकेतन नहीं, वात्सल्य परिवार बनाएं
दीदी मां ने आह्वान किया कि देश में नारी निकेतन नहीं, वात्सल्य परिवार बनाएं। नारी निकेतन से निकली स्त्रियों को यशोदा के भाव से अपनाएं। ‘मेरी मातृभूमि मन्दिर है’ गीत से उद्बोधन प्रारम्भ कर दीदी मां ने भक्तिमती मीरा और शौर्य के प्रतीक महाराणा प्रताप की धरती को नमन करते हुए सभी से शुभ संकल्प लेने
का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सभी सत्य और सद् आचरण का संकल्प लें। अपने समाज के हर जरूरतमंद की मदद का संकल्प लें।
अयोध्या में श्रीराम के भव्य मंदिर के निर्माण का कराया संकल्प
अंत में उन्होंने अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर के निर्माण का सभी को संकल्प कराया। उन्होंने श्रोताओं में मौजूद माया टंडन को पहचानते हुए कहा कि वे भी इस पुनीत कार्य में उनकी साथी हैं।
फोटो कैप्शन .. उदयपुर के सुखाडिय़ा रंगमंच पर वाल्सल्य वाणी राष्ट्र के
नाम कार्यक्रम को संबोधित करती साध्वी ऋतम्भरा।