किसी MLA को जिला अध्यक्ष की कमान नहीं सौंपेगी BJP
चंडीगढ़ । हरियाणा में भाजपा किसी भी विधायक को जिला अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी नहीं देगी। कुछ पूर्व विधायकों व चुनाव में हारे उम्मीदवारों को जिलों में संगठन की कमान सौंपी जा सकती है। राज्य के 22 जिलों में करीब डेढ़ दर्जन जिला अध्यक्ष बदले जाएंगे, जबकि आधा दर्जन के आसपास जिला अध्यक्षों पर दोबारा भरोसा जताया जा सकता है।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला ने रविवार को रोहतक में अपनी कोर टीम के साथ जिलों में संगठन के चेहरे-मोहरों पर मंथन कर लिया है। सभी जिला पर्यवेक्षक और जिला प्रभारियों के साथ बैठक में एक-एक जिले पर काफी देर तक मंथन हुआ। हर जिले में जातीय समीकरण अलग-अलग हैैं।
प्रत्येक जिले में जिला अध्यक्ष पद के लिए तीन-तीन दावेदारों के पैनल तैयार किए गए हैै। इन पैनल में सांसद, मंत्री, पूर्व मंत्री और मौजूदा विधायक की पसंद व नापसंद का खास ख्याल रखा गया है। अधिकतर पर्यवेक्षकों ने रिपोर्ट दी है कि मौजूदा विधायकों के पास अपनी विधानसभा का खासा काम रहता है। इसलिए उन्हें जिला अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी से अलग रखा जाना चाहिए।
भाजपा पूर्व में करनाल में नीलोखेड़ी के तत्कालीन विधायक भगवान दास कबीरपंथी को जिला अध्यक्ष बनाकर ऐसा प्रयोग कर चुकी है। इसका असर यह हुआ कि कबीरपंथी अपने हलके पर ध्यान नहीं दे पाए और चुनाव हार गए। कुछ पूर्व विधायकों को संगठन की जिम्मेदारी देने पर सहमति बनी है। 18 से 19 जिला अध्यक्ष इस बार बदले जा सकते हैैं, जबकि चार से पांच जिला अध्यक्षों को दोबारा जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।
प्रदेश अध्यक्ष ने हर जिले में जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए मंथन किया। प्रदेश महामंत्री के नाते करनाल के सांसद संजय भाटिया, महामंत्री संदीप जोशी और चौ. वेदपाल एडवोकेट के साथ सीएम के पूर्व मीडिया सलाहकार राजीव जैन ने पर्यवेक्षकों व प्रभारियों की रिपोर्ट के बाद उस पर काफी देर तक मंथन किया। अब प्रदेश प्रभारी डा. अनिल जैन, मुख्यमंत्री मनोहर लाल और प्रांतीय संगठन महामंत्री सुरेश भट्ठ के समक्ष इस लिस्ट को रखा जाएगा। अगले एक सप्ताह के भीतर सभी जिला अध्यक्षों की घोषणा संभव है।
पूर्व मंत्रियों के रूप में भाजपा के पास अनुभवी चेहरों की कमी नहीं
हरियाणा में भाजपा के पास अनुभवी चेहरे हैैं। पिछली सरकार में कद्दावर मंत्री रहे संगठन के अहम चेहरे भले ही अलग-अलग कारणों से इस बार विधानसभा की दहलीज तक पहुंचने से वंचित रह गए, लेकिन पार्टी को अपने खून-पसीने से सींचने वाले इन पूर्व मंत्रियों को भाजपा किसी सूरत में नजर अंदाज नहीं कर सकेगी। भाजपा में एक तबका हालांकि ऐसा भी है, जो इन पूर्व मंत्रियों को विलेन के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन संगठन में निचले स्तर से अपनी मेहनत के बूते ऊपर तक पहुंचे इन पार्टी नेताओं की जड़ें बेहद गहरी हैैं। जिला अध्यक्ष से लेकर प्रदेश संगठन और राष्ट्रीय महत्व के मसलों में इन पार्टी नेताओं को नजर अंदाज करना किसी के बूते की बात नहीं होगी। पार्टी के इन पूर्व मंत्रियों ने अपने अपने अंदाज में संगठन व सरकार की नीतियों को जनता के बीच ले जाने का अभियान छेड़ा हुआ है।