जानिए कितने महीनों की प्लानिंग और गुप्त सूचनाओं के बाद अमेरिका कर पाया सुलेमानी की हत्या
अमरेकी सेना ने ईरान के कमांडर कासिम सुलेमानी को एक दिन की रेकी करने के बाद नहीं मारा बल्कि वो बीते 18 माह से उन पर नजर रख रहा था। इतने दिनों तक लगातार निगरानी के बाद ही अमेरिका ने ड्रोन की मदद से सुलेमानी पर हमला किया जिसमें उनकी मौत हो गई।
अमेरिका नष्ट कर देता कमांड-एंड-कंट्रोल शिप
एक बात ये भी कही जा रही है कि यदि सुलेमानी की मौत के बाद ईरान किसी तरह से अमेरिका को नुकसान पहुंचाता या उस पर हमला करने की कोशिश करता तो अमेरिका उसके कमांड-एंड-कंट्रोल शिप को नष्ट कर देता, इसी के साथ उसके तेल और गैस क्षेत्र को आंशिक रूप से अक्षम करने के लिए साइबर हमले को अंजाम देने की योजना भी बनाई गई थी। अमेरिका को इस मामले में ईरानी खुफिया तंत्र ने भी मदद की, उनसे भी कई जानकारियां मिली जिसकी मदद से अमेरिका सुलेमानी को मार पाया।
दूसरा सबसे ताकतवर और प्रभावशाली नेता
सुलेमानी ईरान में दूसरा सबसे ताकतवर और प्रभावशाली नेता था। अमेरिका को गुप्त सूचना मिली थी कि सुलेमानी चार दूतावासों पर हमले की योजना बना रहा है, इसी के बाद सुलेमानी पर निगरानी शुरू की गई और बीते 3 जनवरी को उन्हें एक ड्रोन से हमला करके मौत के घाट उतार दिया गया। पेंटागन के अधिकारियों ने इसी दिन ईरान के एक दूसरे और बड़े नेता और फाइनेंसर को भी निशाना बनाया हुआ था मगर वो उनके रडार पर नहीं आया जिसके कारण बच गया। उस दिन सिर्फ सुलेमानी पर ही हमला हो पाया। जिसमें वो मारे गए।
अमेरिका ने पहले ही बना रखी थी लिस्ट
इससे पहले ईरान ने कभी अमेरिका पर हमला किया था, दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने के कारण अमेरिका के पास ईरान पर लक्ष्य की सूची थी। 27 दिसंबर को जब किर्कुक, इराक में रॉकेटों ने K1 के सैन्य ठिकाने पर अमेरिकी नागरिक ठेकेदार नवरेस वलीद हामिद को मार डाला था, तो वाशिंगटन कार्रवाई के लिए तैयार था।
इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स का Quds Force का नेता
सुलेमानी(62 साल) एक उच्च जनरल और इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के Quds Force के नेता के रूप में जाना जाता था। वो इराक, सीरिया, लेबनान और यमन में छद्म युद्धों के पीछे भी शामिल रहे थे। वह इस क्षेत्र के सबसे निर्मम कमांडरों में से एक थे। सुलेमानी अरब स्प्रिंग और इस्लामिक स्टेट के साथ युद्ध के बाद सुर्खियों में आए। वह क्षेत्रीय प्रभुत्व के लिए ईरान की लड़ाई के पीछे मास्टरमाइंड के रूप में माने जाते थे। 31 दिसंबर को, जब बगदाद में अमेरिकी दूतावास पर ईरान समर्थक प्रदर्शनकारियों ने संभावित लक्ष्यों को सूचीबद्ध करते हुए हमला किया गया था। ट्रम्प के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट सीओ ब्रायन के हस्ताक्षरित अमेरिकी रक्षा अधिकारियों के बीच एक शीर्ष गुप्त ज्ञापन प्रसारित होना शुरू हुआ।
सुलेमानी और अब्दुल रजा शहलाई थे निशाने पर
मेमो का सबसे उत्तेजक प्रतिक्रिया विकल्प सैन्य हड़ताल द्वारा मौत के लिए विशिष्ट ईरानी अधिकारियों को लक्ष्य बनाना था। उस सूची में नाम जनरल सुलेमानी और यमन में ईरानी कमांडर अब्दुल रजा शहलाई का था, इन दोनों ने इस क्षेत्र में सशस्त्र समूहों की मदद की। सुलेमानी कुछ समय के लिए अमेरिकी रडार पर था। मई में उस पर लगातार निगरानी तेज हो गई थी। उस समय ईरान के साथ तनाव चार तेल टैंकरों पर हुए हमलों के बाद बढ़ा था, जिसके बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन आर बोल्टन ने सैन्य और खुफिया एजेंसियों से ईरानी आक्रमण को रोकने के लिए नए विकल्प तैयार करने के लिए कहा। उन्हें सुलेमानी और ईरान के क्रांतिकारी गार्ड के अन्य नेताओं को मारने के विकल्प के साथ प्रस्तुत किया गया था।
सितंबर में की गई प्लानिंग
सितंबर में, अमेरिकी मध्य कमान और संयुक्त विशेष संचालन कमान को सीरिया या इराक में सुलेमानी पर निशाना साधते हुए, उसके खिलाफ एक संभावित ऑपरेशन की योजना बनाने के लिए लाया गया था। पेंटागन के एक अधिकारी ने बताया कि उनके जो एजेंट सीरिया और इराक में मौजूद हैं उनकी ओर से भी सुलेमानी के बारे में इनपुट दिया गया जिससे वो ऑपरेशन में कामयाब हो पाए। एक बार तो ये भी कहा गया कि ईरान में सुलेमानी को मारना बहुत चुनौतीपूर्ण होगा।
जहां मिले मौका कर दो हमला
उसे सीरिया या इराक में मारना अधिक ठीक होगा मगर आखिर में ये तय किया गया कि जहां भी मौका मिले सुलेमानी पर हमला कर दिया जाए। अमेरिका ने सात अलग-अलग संस्थाओं- सीरियन आर्मी, दमिश्क में क्वैड फोर्स, दमिश्क में हिज्बुल्लाह, दमिश्क और बगदाद के हवाई अड्डों और कातिब हिजबुल्लाह और इराक में सैन्य बलों को कहा गया कि वो सुलेमानी के मूवमेंट पर निगरानी रखें और रिपोर्ट दें।
अमेरिका की प्लानिंग के हिसाब से हुआ काम
निगरानी रिकॉर्ड में पाया गया कि सुलेमानी ने कई एयरलाइनों पर उड़ान भरी और अक्सर यात्रा के लिए कई टिकट खरीदे, जिससे किसी को भी उनकी मूवमेंट का पता न चल सके। न्यूयॉर्क टाइम्स के हवाले से बताया गया कि सुलेमानी को अंतिम क्षण में अपने विमान से उतार दिया जाएगा और बिजनेस क्लास की अग्रिम पंक्ति में बैठा दिया जाएगा, ताकि वे विमान से पहले उतर जाएं।
लेबनान के लिए कार से चले तो मारे गए
नए साल के दिन उन्होंने दमिश्क के लिए उड़ान भरी, फिर हिज़्बुल्लाह नेता हसन नसरल्लाह से मिलने के लिए लेबनान के लिए कार से चले। नसरल्लाह ने उसे चेतावनी दी कि अमेरिकी समाचार मीडिया उस पर लगातार नजर रखे हुए है, अमेरिका उनकी हत्या की तैयारी कर रहा है उनको होशियार रहना चाहिए। नसरल्लाह से ये बात सुनने के बाद सुलेमानी ने हंसते हुए कहा था कि वो एक शहीद की तरह मरने की आशा करते हैं, साथ ही नसरल्लाह से कहा कि वो भी प्रार्थना करें कि वो शहीद की तरह मरें।
सुलेमानी क्यों था इराक में, अलग-अलग राय
यह स्पष्ट नहीं है कि सुलेमानी इराक में क्यों था। कुछ का कहना है कि वह एक हमले की साजिश के हिस्से के लिए वहां गया था। दूसरों का कहना है कि वह ईरान और सऊदी अरब के बीच तनाव को कम करने के लिए वहां गया था। हमले के बाद जबकि ट्रम्प ने जीत के साथ घोषणा की। इसी के साथ दुनिया के बाकी हिस्सों ने ईरान के साथ तनाव कम करने के लिए राजनयिकों से बात भी की।