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रोडवेज ने चलाई बस, मजदूर चले अपने गांव

फरीदाबाद : जिले में कारखानों, निर्माण कार्यों या दिहाड़ी मजदूरी पर लगे दूसरे राज्यों के हजारों मजदूरों के जीवन पर लॉकडाउन का गहरा असर हुआ है। रोजाना कमाकर खाने वाले ये मजदूर यहां झुग्गी-झोपड़ी या कार्य स्थल पर ही रहते आए हैं। लॉकडाउन के चलते अब इनके सामने खाने के भी लाले पड़ गए हैं। ऐसे में इन्होंने टोलियों में पैदल ही सैकड़ों किलोमीटर दूर अपने गृह राज्यों को लौटना शुरू कर दिया है।

जिले में ज्यादातर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार व झारखंड के मजदूर हैं। लॉकडाउन के कारण सार्वजनिक यातायात बंद है, निजी वाहनों पर भी पाबंदी है। ऐसे में सभी पैदल ही चल पड़े हैं। एनआइटी-5 से होकर गुजर रही करीब 20 मजदूरों टोली में शामिल संजय ने बताया कि हम सभी झांसी के निवासी हैं। सेक्टर-48 के पास एक होटल निर्माण कार्य बंद होने के बाद ठेकेदार ने दिहाड़ी से हाथ खींच लिए। जो जमापूंजी थी, वह खाने में खर्च हो गई। 21 दिन तक काम बंद रहेगा तो खाएंगे क्या, ऐसे में गांव लौटने का निर्णय लिया। बड़खल में अलमारी बनाने वाले बुलंदशहर के निवासी शहनवाज और राशिद की भी यही मजबूरी बताई। रोडवेज ने चलाई बस

राष्ट्रीय राजमार्ग से होते हुए पैदल उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ और मथुरा की तरफ जाने वाले मजदूरों की सरकार ने सुध ली है। प्रदेश सरकार ने शुक्रवार को हरियाणा रोडवेज की बसों में बैठा कर अलीगढ़ और मथुरा की सीमा होडल बार्डर तक पहुंचाया। बल्लभगढ़ बस अड्डा के इंचार्ज नेपाल सिंह अधाना ने बताया कि हरियाणा रोडवेज की दो बस पुलिस लाइन भी भेजी गई। ये पुलिस लाइन से लोगों को बैठा कर लेकर गई हैं। ये बस सरकार के आदेशानुसार ही चलाई गई हैं।

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