दिल्ली, यूपी अथवा हरियाणा में कहीं छिपा हो सकता है मौलाना
नई दिल्ली । Maulana Saad, Tablighi Jamat: कोरोना संक्रमण को लेकर देश के 20 से राज्यों के करोड़ों लोगों को मुसीबत में डालने वाले दक्षिण दिल्ली स्थित तब्लीगी मरकज जमात के प्रमुख मौलाना मुहम्मद साद व प्रबंधन से जुड़े छह अन्य सहयोगियों को पकड़ना क्राइम ब्रांच के लिए मुसीबत साबित हो गया है।
दिल्ली, यूपी अथवा हरियाणा में कहीं छिपा हो सकता है मौलाना
दिल्ली पुलिस से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, मौलाना साद की पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 2 दर्जन इलाकों के साथ दिल्ली और हरियाणा के मेवात इलाके में भी अच्छी खासी पकड़ है। पिछले दिनों यह भी जानकारी भी सामने आई थी कि मौलाना साद मेवात में किसी परिचित के घर पर रह रहा है, लेकिन पुलिस अब तक इसको लेकर भी बात स्पष्ट नहीं कर पाई है। वहीं, बुधवार को तेजी से अफवाह उड़ी कि मौलाना साद दिल्ली के जाकिर नगर में किसी परिचित के घर पर क्वारंटाइन है, लेकिन आधिकारिक रूप से दिल्ली पुलिस ने इस बाबत कोई बयान नहीं दिया। वहीं, उत्तर प्रदेश में मौलाना के मूल निवास शामली और ससुराल सहारनपुर में भी दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच पूरा जाल बिछाए हुए हैं, लेकिन अब तक कोई कामयाबी नहीं मिल पाई है।
यूपी-दिल्ली समेत कई राज्यों में छापेमारी
दिल्ली, उत्तर प्रदेश व हरियाणा में मौलाना साद समेत सातों के ठिकानें पर छापेमारी की जा रही है, लेकिन किसी का कोई अता-पता नहीं है। ऐसे में फिलहाल क्राइम ब्रांच अंधेरे में ही हाथ-पैर मार रही है। बीते 28 मार्च को मौलाना साद, मौलाना मुहम्मद अशरफ, मुफ्ती शहजाद, डॉ. जीशान, मुर्शलीन सैफी, मुहम्मद सलमान व युनूस तब्लीगी जमात से भागने में सफल हो गया था। तब से इन सातों का कोई अता पता नहीं है। क्राइम ब्रांच इनके सभी ठिकानों पर नोटिस भेज चुकी है।
मोबाइल फोन साथ नहीं रखता मौलाना साद
जहां तक मौलाना साद की बात है तो उसके लोकेशन के बारे में क्राइम ब्रांच को इसलिए जानकारी नहीं मिल पा रही है कि वह मोबाइल फोन नहीं रखता है। लेकिन प्रबंधन से जुड़े उसके छह मौलाना तो मोबाइल फोन रखते हैं। इनके फोन 28 मार्च से ही बंद है। क्राइम ब्रांच इन लोगों को भी ढूंढ़ने में नाकाम साबित हो रही है। हालांकि क्राइम ब्रांच मौलाना साद के चचेरे भाई जुबेर के जरिये उस तक पहुंचने में लगी हुई है।
हर माह आता था करोड़ों का चंदा
बुधवार को तीसरी बार क्राइम ब्रांच ने मरकज पहुंचकर जांच की। जांच से पता चला है कि वहां सालभर देश-विदेश से लोग आते रहते थे। हर माह करोड़ों रुपये चंदा इकट्ठा किया जाता था। चंदे की पर्चियां कटती थीं। उसके बाद मौलाना साद जमातियों को इस्लाम की शिक्षा देने के लिए अलग-अलग राज्यों में भेज देता था। 15 दिन अथवा 30 दिन बाद वे लोग वापस लौटकर रिपार्ट देते थे।