कांग्रेस ने उठाये सवाल, हरियाणा में शराब बिक्री को लेकर पड़ोसी राज्यों का इंतजार
हरियाणा में शराब फैक्टरियों को पत्र जारी करने के बाद अब कांग्रेस के निशाने पर सरकार आ गई है। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने सरकार के इस कदम को लेकर कड़ी निंदा की है। वहीं भाजपा जजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहाकि आम जनता की सेहत की बजाय शराब की नदियां बहाने पर सरकार का फोकस है ।
सुरजेवाला ने कहा कि भाजपा-जजपा सरकार ने एक बार फिर पूरे प्रदेश को शर्मसार करते हुए यह साबित किया है कि खट्टर-चौटाला की जोड़ी दशा व दिशा भ्रम से ग्रस्त है। लगता है कि कोरोना से जंग लड़ने की बजाए मुख्यमंत्री – उपमुख्यमंत्री की जोड़ी शराब की फैक्ट्रियां चलवाने, होलसेल व रिटेल के शराब के ठेके खुलवाने तथा शराब बिकवाने को ही जनसेवा का रास्ता मान बैठे हैं।
कल 11 अप्रैल, 2020 की शाम को जारी किया गया खट्टर – चौटाला सरकार के फरमान ने पूरे प्रदेश को स्तब्ध कर दिया है। इस आदेश के मुताबिक खट्टर सरकार की प्राथमिकता है कि सब जिलों में जल्द से जल्द शराब की फैक्ट्रियां चालू हो जाएं, होलसेल व रिटेल के सब शराब ठेके चालू हों व शराब की बिक्री जोरशोर से हो। ऐसा लगता है कि भाजपा – जजपा सरकार ने अपनी प्राथमिकताएं शराब लॉबी को गिरवी रख दी हैं व प्रदेश की जनता को भगवान भरोसे छोड़ दिया है।
सुरजेवाला ने कहा कि वक्त की मांग है कि विदेश से आए व्यक्तियों व कोरोना संक्रमण से संदिग्ध हर व्यक्ति का टेस्ट हो। पर 1 फरवरी, 2020 से 12 अप्रैल, 2020तक, यानि 71 दिन बीत जाने के बाद भी सर्विएलेंस पर लगाए गए 25,337 व्यक्तियों में से मात्र 3,663 व्यक्तियों का ही कोरोना टेस्ट करवाया गया है। उसमें से भी 1,026 लोगों की तो आज तक रिपोर्ट ही नही आई। साफ है कि प्रदेश में एक दिन में केवल 51 कोरोना टेस्ट ही हो पा रहे हैं। ढाई करोड़ की आबादी वाले प्रदेश में यह आंकड़ा अपने आप में चिंताजनक भी है तथा सरकार की नाकामी को जगजाहिर करता है।
दूसरी ओर, डॉक्टर, नर्स व स्वास्थ्यकर्मियों के लिए न पर्सनल प्रोटेक्शन ईक्विपमेंट हैं, न एन-95 मास्क हैं, न बॉडी कवरऑल, न ग्लव्स और गॉगल्स। कोरोना की रोकथाम के लिए प्रदेश के 85 शहरों व लगभग 7,500 गांव में भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा चिन्हित ‘सोडियम हाईपोक्लोराईट’ दवाई का कहीं भी छिड़काव तक नहीं किया गया। दो अपवाद केवल कैथल व नरवाना शहर हैं, जहां कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने अपने स्रोतों से यह छिड़काव करवाया। सरकार द्वारा केवल ब्लीचिंग पाऊडर छिड़काव के लिए उपलब्ध करवाया गया, जो न तो रिकमेंडेड है और न ही कोरोना के खिलाफ इस्तेमाल किया जाता। सवाल है कि सरकार हाथ पर हाथ धरे क्यों बैठी है?
क्रोनोलॉजी समझिए- सबसे पहले खट्टर-चौटाला सरकार ने 1000 रु. के लाईसेंस में घर-घर शराब ठेके खुलवाने की आबकारी नीति बनाई। इसके बाद लॉकडाऊन के शुरुआती दिनों में शराब ठेके खुले रखे। फिर शराब ठेके बंद होने के बावजूद दोगुने-तिगुने दामों में शराब की होम डिलीवरी की छूट पर आंख मूंद ली और यह कालाबाजारी आज भी जारी है। अब खट्टर-चौटाला सरकार की पूरी ताकत शराब की फैक्ट्रियां चलवाने, होलसेल व रिटेल ठेके खुलवाने तथा शराब बिकवाने में लगी है। हमारी मांग है कि जनविरोधी खट्टर-चौटाला सरकार सामने आ शराब नीति पर हरियाणा को जवाब दे।