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लॉकडाउन पार्ट-2 ने बढ़ा दी बुजुर्गों की टेंशन

लॉकडाउन पार्ट-2 ने 70 साल से ऊपर के उन बुजुर्गों की दिक्कत बढ़ा दी है, जो अकेले ही अपने घर में कैद होने को मजबूर हैं. मदद के लिए ना तो वह अपनों तक पहुंच पा रहे हैं और ना ही उनके अपने उन तक पहुंच पा रहे हैं. कोरोना के चलते मेडिकल सुविधाओं की किल्लत ने बुजुर्गों के लिए लॉकडाउन को और मुश्किल बना दिया है.

लॉकडाउन के चलते नहीं करा सकते फिजियोथेरेपी

दिल्ली में रहने वाले 77 साल के रिटायर्ड ब्रिगेडियर सुधीर भनोट का कुछ वक्त पहले ही दोनों घुटनों का (knee transplant) ट्रांसप्लांट हुआ है. सर्जरी के बाद कम से कम 2 महीने फिजियोथेरेपी कराना जरूरी था, लेकिन लॉकडाउन होने के बाद ना तो फिजियोथेरेपिस्ट को वह घर बुला सकते और ना ही अस्पताल जाकर फिजियोथेरेपी करा सकते थे. लिहाजा फिजियोथेरेपी वक्त से पहले ही बंद हो गई. किसी तरह अपने ड्राइंग रूम में वॉक करके खुद को सक्रिय रखने की कोशिश कर रहे हैं. जिससे वह ठीक से चल सकें. घर में वो और उनकी पत्नी राज भनोट अकेले ही रहते हैं.

 

काम वाली की छुट्टी, घर का काम करने को मजबूर बुजुर्ग महिला

लॉकडाउन के चलते 73 साल की सुषमा प्रसाद भी काफी परेशान हैं. लॉकडाउन की वजह से काम वाली की भी छुट्टी हो गई. चलने-फिरने और झुकने से मोहताज सुषमा प्रसाद को घंटों घर की साफ-सफाई और रसोई का काम करना पड़ रहा है. यूं तो उनकी बेटी उनसे कुछ किलोमीटर ही दूर ही रहती है, लेकिन लॉकडाउन होने के बाद से वो भी उनकी मदद करने के लिए उन तक नहीं पहुंच पा रही है. अब जब लॉकडाउन 3 मई तक और बढ़ गया है तो सुषमा प्रसाद की चिंता भी बढ़ गई है.

70 साल से ऊपर सीनियर सिटिजंस की परेशानी यह भी है कि वो फिलहाल खुद को स्वस्थ रखने के लिए रेगुलर वॉक के लिए भी नहीं जा पा रहे हैं. सुषमा के पति एडी प्रसाद हर रोज सुबह शाम 2 घंटे वॉक करते थे. लेकिन लॉकडाउन में सब कुछ छूट गया है, ऐसे में चिंता यह भी है कि घर में बंद रहकर कितना स्वस्थ रह पाएंगे.

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