क्षेत्र की जनता ही भूख से तड़प रही हो तो फिर और किसी समाजसेवी से क्या उम्मीद लगाई जा सकती हैं
फरीदाबाद : देश में लॉक डाउन का दूसरा चरण शुरू हो गया है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से अपील की है कि अपने आसपास दिहाडी मजदूरों को खाना जरूर दें, ऐसे में अगर खुद सरकार के अनाज भंडारण हैफेड के चेयरमैन के क्षेत्र की जनता ही भूख से तड़प रही हो तो फिर और किसी समाजसेवी से क्या उम्मीद लगाई जा सकती हैं, मामला फरीदाबाद की पृथला विधानसभा के कैलगांव का है जहां के विधायक नयनपाल रावत खुद ही अनाज भंडारण हैफेड के चेयरमैन है, उसके बाद भी सैकड़ों लोग भूख से व्याकुल हैं और चेयरमैन के खिलाफ हाय हाय के नारे भी लगा रहे हैं जब यह लोग अपने लिए खाना मांगने नयनपाल रावत के कार्यालय गए तो इन्हें जल्द खाना देने का झांसा देकर वापस भेज दिया गया और उसके बाद फोन पर जवाब दिया गया कि उन्होंने ठेका नहीं लिया हुआ है ऐसे में सैकड़ों बच्चे बुजुर्ग और महिला पुरुषों के सामने खाने का संकट गहरा गया है।
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हाथों में थाली और चम्मच लेकर बजाते हुए नजर आ रहे यह लोग प्रधानमंत्री के कहने पर बजाने वाली तस्वीरें नहीं है यह तस्वीरें हैं भूख से व्याकुल उन लोगों की जो खाली बर्तन बजाकर अपने लिए खाना मांग रहे हैं और अपने मौजूदा विधायक एवं अनाज भंडारण हैफेड के चेयरमैन नयनपाल रावत के खिलाफ हाय हाय के नारे भी लगा रहे हैं मन को विचलित करने वाला यह दृश्य फरीदाबाद की पृथला विधानसभा के कैलगांव का है जहां सैकड़ों लोग अपने परिवारों के साथ दूरदराज से रोजगार के लिए आए हुए थे और रोजाना दिहाड़ी का काम करके दो वक्त का खाना जुटाते थे, मगर लॉक डाउन होने के बाद ना तो यह लोग घर जा पाए और ना ही अब इन्हें खाना दिया जा रहा है देश के प्रधानमंत्री खुद अपने प्रतिनिधि और समाजसेवियों से अपील कर चुके हैं
कि अपने आसपास भूखे मजदूरों को खाना जरूर दें मगर उनकी सरकार में ही चेयरमैन के कानों तक शायद प्रधानमंत्री की अपील नहीं पहुंची है अनाज भंडारण हैफेड का चेयरमैन होने के बावजूद भी एक-एक दाने के लिए यह लोग तरस रहे हैं इन लोगों की माने तो कुछ दिन पहले जरूर इनके पास राशन पहुंचाया गया था जो खत्म हो चुका है वह दोबारा से अपने विधायक व चेयरमैन नैनपाल रावत के पास राशन मांगने पहुंचे तो उन्होंने जल्द राशन देने का वायदा किया मगर राशन घर पर ना पहुंचने के चलते हैं इन लोगों ने उनके पीए को फोन किया तो जवाब मिला कि सरकार ने उनका ठेका नहीं लिया हुआ है ऐसे दिन में ना जाने कितने फोन आते हैं । गांव के सरपंच से भी मदद की गुहार लगाई तो सरपंच ने जवाब देते हुए कहा कि वह खुद ही भूखा मर रहा है तो तुम्हें कहां से खाना देगा।