Self Add

अंग्रेजों ने जिन्हें कुत्तों से नुचवाया फिर फांसी पर चढ़ाया दिल्ली के वो बड़े सेठ

IMAGES SOURCE : GOOGLE

सेठ: रामजीदास गुड़वाला दिल्ली के करोड़पति सेठ और बैंकर थे. उनके दिल में देश को आजाद कराने की तड़प इतनी ज्यादा थी कि वो अपनी करोड़ों रुपये की संपत्ति न्योछावर करने के लिए तैयार थे. उनको 1857 के क्रांतिवीर और दानवीर के रूप में जाना जाता है. वह अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर के गहरे दोस्त थे.

रामजीदास का जन्म दिल्ली में एक अग्रवाल परिवार में हुआ था. इनके परिवार ने दिल्ली में पहली कपड़े की मिल की स्थापना की थी. वैसे तो रामजीदास का परिवार मूल रूप से राजस्थान के नागौर का रहने वाला था. पर रामजीदास का जन्म दिल्ली में हुआ था. उनके परिवार को जगत सेठ उपाधि मिली हुई थी. रामजीदास की अमीरी को लेकर एक कहावत थी कि उनके पास इतना सोना, चांदी और जवाहरात है कि उनकी दीवारों से वो गंगा जी का पानी भी रोक सकते है.

दिल्ली में खड़ा किया क्रांति का झंडा
यह भी कहा जाता है कि क्रांतिकारियों द्वारा मेरठ में क्रांति के बाद दिल्ली में उसका झंडा बुलंद करने में रामजीदास का प्रमुख हाथ था. रामजीदास ने अंग्रेजों की सेना में भारतीय सिपाहियों को आजादी का संदेश भेजा और क्रांतिकारियों ने निश्चित समय पर उनकी सहायता का वचन भी दिया. सेठ रामजीदास को अंग्रेजों ने धोखे से पकड़ा गया और जिस तरह मारा गया वह क्रूरता की मिसाल है. पहले उन पर शिकारी कुत्ते छुड़वाया गए. उसके बाद उन्हें उसी घायल अवस्था में चांदनी चौक की कोतवाली के सामने फांसी पर लटका दिया गया था.

बादशाह को दे दी करोड़ों की संपत्ति
जब 1857 में मेरठ से शुरू होकर क्रांति की चिंगारी दिल्ली पहुंची तो मुगल सम्राट बहादुरशाह जफर को 1857 की सैनिक क्रांति का नायक घोषित कर दिया गया. दिल्ली में अंग्रेजों की हार के बाद अनेक रियासतों की सेनाओं ने दिल्ली में डेरा डाल दिया. उनके भोजन और वेतन की समस्या पैदा हो गई. बादशाह का खजाना खाली था. एक दिन उन्होंने अपनी रानियों के गहने मंत्रियों के सामने रख दिये. रामजीदास बादशाह के गहरे मित्र थे. रामदासजी से बादशाह की यह हालत देखी नहीं गई. उन्होंने अपनी करोड़ों की संपत्ति बादशाह के हवाले कर दी और कहा, “मातृभूमि की रक्षा होगी तो धन फिर कमा लिया जाएगा.”

संगठन का काम भी किया
रामजीदास ने केवल धन ही नहीं दिया, उन्होंने सैनिकों को अनाज और आटा, बैलों, ऊंटों व घोड़ों के लिए चारे की व्यवस्था तक की. रामजीदास ने अभी तक केवल व्यापार ही किया था, लेकिन अब उन्होंने सेना व खुफिया विभाग के संगठन का कार्य भी शुरू कर दिया. उनकी संगठन शक्ति देखकर अंग्रेज भी हैरान हो गए. सारे उत्तर भारत में उन्होंने जासूसों का जाल बिछा दिया, अनेक सैनिक छावनियों से गुप्त संपर्क किया. उन्होंने भीतर ही भीतर एक शक्तिशाली सेना व गुप्तचर संगठन का ढांचा खड़ा कर दिया. देश के कोने कोने में गुप्तचर भेजे व छोटे से छोटे मनसबदार और राजाओं से प्रार्थना की इस संकटकाल में बहादुर शाह जफर की मदद कर देश को आजाद करवाएं.

रामजीदास का जन्म दिल्ली में एक अग्रवाल परिवार में हुआ था.

क्रूर तरीके से मारा गया रामदासजी को
रामदासजी की इस प्रकार की क्रांतिकारी गतिविधियों से अंग्रेज शासन व अधिकारी बहुत परेशान हो गए. दिल्ली पर अंग्रेजों का पुनः कब्जा होने लगा. एक दिन रामदासजी ने चांदनी चौक की दुकानों के आगे जगह-जगह जहर मिश्रित शराब की बोतलों की पेटियां रखवा दीं. अंग्रेज सेना उनसे प्यास बुझाती और वही लेट जाती. अंग्रेजों को समझ आ गया कि दिल्ली पर फिर से कब्जा करना है तो रामदासजी का खात्मा बहुत जरूरी है. सेठ रामदासजी को धोखे से पकड़ा गया और जिस तरह से मारा गया वो क्रूरता की मिसाल है. पहले उन्हें रस्सियों से खंभे में बांधा गया. फिर उन पर शिकारी कुत्ते छुड़वाए गए. उसके बाद उन्हें उसी अधमरी अवस्था में दिल्ली के चांदनी चौक की कोतवाली के सामने फांसी पर लटका दिया गया.

बादशाह से भी ज्यादा धनी थे
जानेमाने इतिहासकार ताराचंद ने अपनी पुस्तक ‘हिस्ट्री ऑफ फ्रीडम मूवमेंट’ में लिखा है, “सेठ रामजीदास गुड़वाला उत्तर भारत के सबसे धनी सेठ थे. अंग्रेजों के अनुसार उनके पास असंख्य मोती, हीरे व जवाहरात व अकूत संपत्ति थी. वह मुगल बादशाहों से भी अधिक धनी थे. यूरोप में भी उसकी अमीरी की चर्चा होती थी. लेकिन भारत के इतिहास में उनका नाम उनकी अतुलनीय संपत्ति की वजह से नहीं बल्कि स्वतंत्रता संग्राम में अपना सर्वस्व न्योछावर करने की वजह से दर्ज है.

 

Get real time updates directly on you device, subscribe now.

You might also like
kartea