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अब काट रहीं कोर्ट के चक्‍कर, मेहनत से खड़ा किया 7000 करोड़ का बिजनेस, फिर अपनी ही कंपनी से निकाल दी गई

IMAGES SOURCE : GOOGLE

कड़ी मेहनत से एक सफल स्‍टार्टअप खड़ा किया और हजारों करोड़ का बिजनेस बनाया. फिर कुछ ऐसा हुआ कि अपनी ही कंपनी से निकाल दी गई और सैकड़ों करोड़ वसूली का मुकदमा भी ठोक दिया. फर्श से अर्श तक सफर के बाद वापस जमीन पर गिरने की यह कहानी है जिलिंगो (Zillingo) की फाउंडर और सीईओ अंकिती बोस की. अंकिती ने अपने स्‍टार्टअप को नई ऊंचाई पर पहुंचाया था, लेकिन सफलता सिर चढ़ने पर उन्‍होंने लगातार कई गलतियां की, जिसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा.

अंकिती का जन्‍म देहरादून में हुआ और स्‍कूली शिक्षा कैंब्रिज स्‍कूल, मुंबई से पूरी हुई. ग्रेजुएशन भी मुंबई के ही सेंट जेवियर कॉलेज से पूरा किया. ग्रेजुएशन के बाद मैकेंजी एंड कंपनी और सिकोया कैपिटल जैसी दिग्‍गज कंपनियों में काम किया. बैंगलोर की लोकल मार्केट में घूमते समय उन्‍हें लगा कि बहुत से ऐसे छोटे दुकानदार है, जिन्‍हें ऑनलाइन प्‍लेटफॉर्म पर आने की जरूरत है. इसके बाद अंकिती ने सिकोया कैपिटल में बतौर इनवेस्‍टमेंट एनालिस्‍ट की जॉब छोड़ दी और खुद का स्‍टार्टअप जिलिंगो लांच किया.

फिर शुरू हुआ सफलता का सफर
अंकिती बोस ने नौकरी छोड़ अपने एक साथी ध्रुव कपूर के साथ मिलकर मल्‍टीनेशनल टेक्‍नोलॉजी एंड कॉमर्स स्‍टार्टअप जिलिंगो शुरू किया. इस कंपनी की मार्केट वैल्‍यू साल 2019 में बढ़कर 7,000 करोड़ रुपये पहुंच गई थी. इस सफलता के पीछे अंकिती की कड़ी मेहनत थी. यही कारण है कि उन्‍हें साल 2018 की फोर्ब्‍स एशिया 30 अंडर 30 लिस्‍ट में शामिल किया गया और 2019 में फॉर्च्‍यून की 40 अंडर 40 लिस्‍ट और ब्‍लूमबर्ग की टॉप 50 लिस्‍ट में भी शामिल रहीं.

…और पतन का रास्‍ता
सबकुछ ठीक चल रहा था, तभी बोस को साल 2022 में उनकी कंपनी से ही बाहर का रास्‍ता दिखा दिया गया. उन्‍हें जिलिंगो के सीईओ पद से हटा दिया गया. कंपनी के एक निवेशक महेश मूर्ति ने तो अंकिती बोस के खिलाफ 738 करोड़ रुपये वसूली के लिए मुकदमा भी ठोक दिया है. सवाल ये है कि आखिर उन्‍होंने ऐसा किया था, जो इतना बुरा हाल हो गया.

अंकिती पर लगे हैं कई गंभीर आरोप
अंकिती बोस पर कंपनी की ओर से फाइनेंशियल मिसप्रेजेंटेशन और मिस मैनेजमेंट के आरोप लगाए गए हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्‍होंने बिना बोर्ड से अनुमति लिए ही अपनी सैलरी 10 गुना बढ़ा दी. इसके अलावा करीब 83 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया, जिसका कोई लेखाजोखा ही नहीं पेश हुआ. इन आरोपों को लेकर ही कंपनी के निवेशक ने 700 करोड़ से ज्‍यादा का मुकदमा ठोक दिया है.

NEWS SOURCE : news18

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