मोतियाबिंद के मरीजों को युवावस्था जैसी निगाह देना अब संभव

विज्ञान में हुई प्रगति के कारण तकनीक के क्षेत्र में उल्लेखनीय विकास हुआ है। विशेषकर आंख के इलाज में जहां कुछ वर्ष पूर्व मोतियाबिंद का मरीज केवल नेत्र की रोशनी पाकर खुश हो जाता था, आज उसी मरीज को इलाज के बाद हम उसे पहले से भी बेहतर निगाह देने में सक्षम हैं। जानिए उन तकनीकी विकासों को जिनके कारण मोतियाबिंद के मरीजों को युवावस्था जैसी निगाह देना अब संभव है। जानें क्‍या कहते है कानपूर के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. दिलप्रीत सिंह।

नवीनतम बायोमेट्री

बायोमेट्री द्वारा हम आंख में पड़ने वाले कृत्रिम लेंस की पावर निकालते हैं। लेंस की पावर जितनी सटीक निकालेंगे, उतना ही इलाज के बाद साफ देख सकेंगे। इसके अलावा अतीत के बायोमेट्री उपकरण हमारी कॉर्निया की अगली व पिछली सतह का असली माप न करके केवल एक औसत माप निकालते थे, जिससे आईओएल(कृत्रिम-लेंस) की पावर कम सटीक निकलती थी।

आज हम कॉर्निया की असली माप निकालकर हर व्यक्ति की आंख की सटीक नाप निकाल पाते हैं, जो हमें आईओएल (कृत्रिम लेंस) की पावर निकालने में मदद करता है। केवल नवीनतम बायोमेट्री में पूर्व में चश्मा हटाने के इलाज जैसे लेजिक, पोस्ट-आर-के और पोस्टलेजिक कराने वालों की सटीक लेंस पावर निकालने वाला सॉफ्टवेयर उपलब्ध है।

इमेज गाइडेड सिस्टम

यह मोतियाबिंद के इलाज में एक अभूतपूर्व उपलब्धि है। जिन मरीजों में हमेशा थोड़ा या अधिक सिलिन्ड्रिकल नंबर रहता था, अब उनमें इस उपकरण के द्वारा सर्जन यह पता लगा सकते हैं कि चीरा कहां लगाया जाए जिससे अब सिलिन्ड्रिकल पावर आईओएल (कृत्रिम लेंस) की सटीक धुरी (एक्सिस) की निशानदेही कारगररूप से की जा सकती है। इस कारण नेत्र सर्जन कृत्रिम लेंस को सही एक्सिस में डाल पाता है। इस प्रकार मरीज को मोतियाबिंद के साथ ही सिलिन्ड्रिकल पावर से भी छुटकारा मिल जाता है।

अत्याधुनिक फेको मशीन

यद्यपि फेको मशीनें बहुत समय से उपलब्ध हैं, परंतु नवीनतम मशीनों में मरीज को इलाज के दौरान आंख व पर्दे की पूर्ण सुरक्षा के सारे उपाय किए गए हैं। नवीनतम मशीन में चूंकि पावर अधिक होती है तो यह उपचार जल्दी करते हैं और कम ऊर्जा का उपयोग करते हैं। इस कारण आंख में सूजन न के बराबर आती है और रोशनी बहुत जल्द आ जाती है। बेहतर उपकरणों के कारण पूरा इलाज अच्छी तरह से हो जाता है, विशेषकर जिन मरीजों को मोतियाबिंद के साथ ग्लूकोमा या फिर आंख के पर्दे से संबंधित समस्या हो।

पर्दे की इमेजिंग सिस्टम

कानपूर के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. दिलप्रीत सिंह ने बताया कि आज हमारे पास चाहे मोतियाबिंद कितना भी घना हो पर हम आंख के पर्दे और उसकी वास्तविक स्थिति का अनुमान इस नए उपकरण से लगा सकते हैं। इसका लाभ विशेषकर डायबिटीज वालों (जिन्हें मोतियाबिंद का इलाज कराना है) को मिलता है। इसके अलावा मोतियाबिंद के इलाज के बाद हमें कितनी रोशनी मिलेगी, इसका भी हम उचित अंदाजा लगा सकते हैं। इन सारी तकनीकी उपलब्धियों के चलते आज मोतियाबिंद के मरीज पूरे विश्वास के साथ सर्वोत्तम परिणाम की उम्मीद कर सकते हैं।

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