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जो भारत का इतिहास नहीं जानते वही कर रहे सीएए का विरोध : मोनिका अरोड़ा

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का एक तरफ विरोध चल रहा है तो वहीं दूसरी तरफ अलग-अलग संगठनों ने कानून के पक्ष में सड़कों पर उतरना शुरू कर दिया है। रविवार को दाना मंडी में राष्ट्रीय विचार मंच की लुधियाना इकाई ने सीएए के समर्थन में विशाल रैली का आयोजन किया और उसके बाद कार्यकर्ताओं ने सड़क पर तिरंगा यात्रा कर कानून के समर्थन में नारेबाजी की। रैली में उपस्थित कार्यकर्ताओं को सीएए के बारे में जानकारी देने के लिए सुप्रीम कोर्ट की सीनियर एडवोकेटमोनिका अरोड़ा व दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष प्रदीप भंडारी विशेष तौर पर पहुंचे थे।

कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए एडवोकेट मोनिका अरोड़ा ने कहा कि जो लोग भारत का इतिहास नहीं जानते वही सीएए का विरोध कर रहे हैं। उन्हें भारत के इतिहास के बारे में पता ही नहीं कि भारत हमेशा से दुनिया भर में पीड़ित लोगों की शरण स्थली बनता रहा है। उन्होंने कार्यकर्ताओं को कहा कि वह लोगों के बताएं कि यह कानून शरणार्थियों को शरण देकर नागरिकता देने का है न कि किसी की नागरिकता लेने का। रैली की अध्यक्षता महिंदरपाल जैन ने की। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय विचार मंच के अध्यक्ष अजीत लाकड़ा ने की और कार्यक्रम का संचालन महासचिव एससी रल्हन ने किया।

मोनिका अरोड़ा ने कहा कि भारतीय मुसलमानों को इस कानून से डरने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि तीन इस्लामिक पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों को शरण देने के लिए कानून में बदलाव किया गया है, लेकिन विपक्ष इसका दुष्प्रचार कर रहा है। उन्होंने कि भारत एक सहिष्णु देश है जो दुनिया के सभी शरणार्थियों की शरणस्थली है। भारत में वो धर्म भी सुरक्षित हैं जो दूसरे देशों से आये और दुनिया में खत्म हो गए, परंतु भारत में उनका अस्तित्व अभी भी बचा है। मोनिका अरोड़ा ने कहा कि 1951 में बने इस कानून का डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद, जवाहर लाल नेहरू व डॉ भीमराव आंबेडकर ने उस समय समर्थन किया था कि जिन गैर मुस्लिम लोगों के साथ दु‌र्व्यवहार हो रहा है, जिनके धर्म परिवर्तन की कोशिश हो रही है, न्याय नहीं मिल रहा, बदसलूकी हो रही है, उन्हें भारत शरण देगा। भारत विभाजन के वक्त गांधी जी ने भी कहा था कि जो हिंदू व सिख पाकिस्तान के साथ नहीं रहना चाहते हैं उन्हें भारत सरकार रोजगार व उनके रहने की व्यवस्था करे।

उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने 2011 में भी इस पर नियम बनाया और 2012 को सभी राज्यों व केंद्र प्रशासित प्रदेशों के लिये अधिसूचना जारी की थी। अब इसमें धारा छह जोड़ी गई है, ताकि 31 दिसंबर 2014 से पहले आए धार्मिक प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता दी जाए। वहीं प्रदीप भंडारी ने कहा कि पाकिस्तान में लगातार गैर मुस्लिमों पर अत्याचार हो रहे हैं। उन्हें अगर शरण न दी जाए तो उनका जीवन समाप्त हो जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार का विरोध करने के लिए विपक्ष इस तरह विरोध कर रहा है।

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