644 उग्रवादियों के एक साथ आत्मसमर्पण किए जाने का असर उत्तर बंगाल में भी दिखाई देगा।
पूर्वोत्तर मैं नासूर बना उग्रवाद आंदोलन दम तोड़ता दिख रहा है। इसका असर पूर्वोत्तर के प्रवेश द्वार कहे जाने वाले उत्तर बंगाल में भी दिखाई देगा। कल तक अलग राज्य आंदोलन व उग्रवाद की राह पर धार देने वाले उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया है। जानकारी के अनुसार, पूर्वोत्तर के 644 उग्रवादियों के एक साथ आत्मसमर्पण किए जाने का असर उत्तर बंगाल में भी दिखाई देगा।
यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट आफ असम (उल्फा) स्वाधीन के 50, नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट आफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) सइरागोवरा के 08, कामतापुर लिबरेशन आर्गनाइजेशन (केएलओ) के 06, रावा नेशनल लिबरेशन फ्रंट (आरएनएलएफ) के 13, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया-माओवादी (सीपीआई-एम) के 01, नेशनल संथाल लिबरेशन आर्मी (एनएसएलए) के 87, आदिवासी ड्रेगन फाइटर (एडीएफ) के 178 और नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ बंगाल (एनएलएफबी) के 301 कैडर समेत कुल 644 कैडर शामिल हैं। उल्फा (आई) ने 24 हथियार, 1536 कारतूस, 06 ग्रेनेड और 42 मैगजीन एनडीएफबी (एस) ने 01 हथियार, 29 कारतूस, 01 मैगजीन और 01 आरटी सेट एनएलएफबी ने 75 हथियार, 51 कारतूस, 1.93 किग्रा विस्फोटक, 31 ग्रेनेड, एक जिंदा बम, एक आरटी सेट और 11 डेटोनेटर आरएनएलएफ ने 20 हथियार, 70 कारतूस, 15 मैगजीन और 295 डेटोनेटर एनएसएलए ने 27 हथियार, 15 ग्रेनेड, 01 बम और 03 राकेट लांचर।
एडीएफ ने 30 हथियार, 69 बम और 17 खुखरी जमा कराए हैं। इस तरह सभी उग्रवादियों ने कुल 177 हथियार, 1686 कारतूस, 1.93 किग्रा विस्फोटक, 52 ग्रेनेड, 71 बम, 03 लाकेट लांचर, 58 मैगजीन, 17 खुखरी, 02 आरटी सेट और 306 डेटोनेटर जमा कराए हैं। पश्चिम बंगाल विधानसभा और उसके पहले नगर निगम चुनाव के लिए भी यह राहत की बात है। उत्तर बंगाल दौरे पर आई मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी नजर असम में गुरुवार को एक साथ 644 उग्रवादियों के आत्मसमर्पण पर पैनी नजर रखी हुई थी। असम समेत समूचे पूर्वोत्तर में इस समय उग्रवाद अंतिम सांस ले रहा हैं। एक-एक कर उग्रवादी संगठन हिंसा को छोड़कर देश की मुख्य धारा में लौट रहे हैं।
गत 23 जनवरी को असम की राजधानी के गुवाहाटी मेडिकल कालेज अस्पताल (जीएमसीएच) के सभागार में आयोजित एक समारोह में राज्य के आठ उग्रवादी संगठनों के कुल 644 उग्रवादियों ने हथियार डाल दिया। असम पुलिस ने सभी कैडरों का असमिया फुलाम गमछा पहनाकर स्वागत किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने सभी कैडरों का देश की मुख्य धारा में लौटने पर स्वागत करते हुए सरकार की ओर से हर संभव मदद का आश्वासन दिया। साथ ही, पुलिस महानिदेशक भास्कर ज्योति महंत ने आश्वासन दिया कि आत्मसमर्पण करने वालों को सरकार की मौजूदा सभी योजनाओं का लाभ मिलेगा।उल्लेखनीय है कि उग्रवादियों के शांतिवार्ता में लौटने का सिलसिला पिछले दिनों म्यांमार में रह रहे बोडो उग्रवादी संगठन एनडीएफबी (सइरागोवरा) गुट के अध्यक्ष बी सइरागोवरा के अपने परिवार समेत 50 से अधिक कैडरों के साथ भारत में प्रवेश कर सेना के सामने शांतिवार्ता में शामिल होने की रजामंदी के साथ ही आरंभ हुआ। एनडीएफबी (एस) के अध्यक्ष और महासचिव नई दिल्ली पहुंचकर केंद्र सरकार के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किया।
एनडीएफबी के अन्य दो प्रोग्रेसिव गुट और रंजन गुट पहले ही केंद्र सरकार के साथ शांति वार्ता में शामिल हो चुका है। उग्रवादी गुटों के शांति वार्ता में लौटने के चलते राज्य में शांति का माहौल कायम होने की उम्मीद बढ़ गई है। सिर्फ उल्फा (स्वाधीन) गुट ही अभी भी हथियार उठाए हुए हैं। हालांकि, उसकी ताकत बेहद कमजोर हो चुकी है। सरकार और सुरक्षा एजेंसियां राज्य से उग्रवाद को समाप्त कर शांति स्थापित करने के लिए लंबे समय से काम कर रही थीं। अंततः राज्य सरकार और सुरक्षा एजेंसियों को इस काम में बड़ी सफलता मिली है। आत्मसमर्पण कार्यक्रम में राज्य के पुलिस महानिदेशक भास्कर ज्योति महंत, चौथी कोर के जीओसी ले. जनरल मनोज पांडेय, मुख्य सचिव कुमार संजय कृष्णा के अलावा अन्य गण्यमान्य व्यक्ति मौजूद थे।