अब जयपुर की रैली के जरिए राहुल गांधी को एक बार फिर आक्रामक ढंग से मैदान में उतारे जाने की रणनीति पार्टी ने बनाई है
ठीक सात साल पहले जनवरी 2013 में जयपुर से राहुल गांधी की सियासी लान्चिंग हुई थी, उस समय कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाने का फैसला लिया गया था. अब उसी जयपुर शहर से राहुल गांधी की एक बार फिर सियासी रि-लॉन्चिंग की तैयारी दिख रही है. राहुल गांधी मंगलवार को जयपुर से महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ पार्टी अभियान की शुरुआत करेंगे. इसके बाद वे देश के अलग-अलग राज्यों में जाकर मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलेंगे.
हार के बाद राहुल ने छोड़ी पार्टी की कमान
बता दें कि लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद राहुल गांधी ने पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. कांग्रेस की कमान छोड़ने के बाद राहुल दिल्ली और अपने संसदीय क्षेत्र केरल के वायनाड तक ही सीमित रहे थे. अब नए साल में नए सियासी पारी का वो आगाज कर रहे हैं और इसकी शुरुआत वो जयपुर से कर रहे हैं.
कांग्रेस अपनी रैली जयपुर के बड़े-बड़े मैदानों में करती रही है, लेकिन पहली बार अल्बर्ट हॉल में राहुल गांधी की रैली रखी गई है. माना जा रहा है कि राहुल गांधी की रि-लॉन्चिंग को यादगार बनाया जा सके. राहुल गांधी के लिए राजस्थान खासकर जयपुर को अच्छा माना जाता है. राहुल को पार्टी का उपाध्यक्ष बनाने का फैसला भी 2013 में जयपुर में ही लिया गया था. इसके बाद उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष बनाने को लेकर लॉबिंग भी यहीं से शुरू हुई थी.
अब जयपुर की रैली के जरिए राहुल गांधी को एक बार फिर आक्रामक ढंग से मैदान में उतारे जाने की रणनीति पार्टी ने बनाई है. यहीं से राहुल गांधी एक बार फिर से कांग्रेस का नेतृत्व करने के लिए सक्रिय हो सकते हैं. जयपुर के बाद राहुल गांधी मध्य प्रदेश के भोपाल, छत्तीसगढ़ के रायपुर और महाराष्ट्र में रैलियां को संबोधित कर सकते हैं. इनमें से दो राज्यों में कांग्रेस की अपने दम पर सरकार है और महाराष्ट्र में शिवसेना और एनसीपी के साथ मिलकर कांग्रेस सरकार चला रही है. राहुल इन रैलियों में बेरोजगारी और महंगाई के मुद्दे पर मोदी सरकार को निशाने पर लेंगे.