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जानें कैसे करती हैं ट्रैक, अब तक 700 लापता लोगों की घर वापसी करा चुकी हैं ये महिला कॉस्टेबल

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नागपुर: कई बार ऐसा होता है कि घर में किसी से अनबन या फिर रोज- रोज के किचकिच से तंग आकर लोग घर का त्याग कर देते हैं. हालांकि कुछ लोगों को अपनी गलती का एहसास जल्दी हो जाता है, तो वह घर को वापस लौट जाते हैं. लेकिन इसी में कुछ लोग जिद्दी होते हैं, जो चाहते तो हैं कि घर चला जाऊं, लेकिन इसमें उनका जिद्द या यूं कहें उनका इगो उन्हें बार-बार रोक लेता है. जब घर का कोई व्यक्ति घर छोड़कर जाता है, तो यह सिर्फ उसका व्यकितगत दुख नहीं होता है, बल्कि ये दुख पूरे परिवार का सामूहिक होता है. परिवार के सभी लोग दुखी होते हैं. तमाम तरह की ख्यालात मन में आते है. ऐसे ही परेशान परिवार के चेहरे पर खुशी लाने का कार्य करने वाली उषा कोंडालकर लगभग 700 लापता लोगों की घर वापसी करा चुकी हैं.

उषा कोंडलकर साल 1991 में महाराष्ट्र पुलिस में भर्ती हुई थी. उषा पिछले 6 वर्षों में 700 से अधिक लापता लोगों को उनकी घर वापसी कराई है. लोकल 18 से खास बातचीत में उन्होंने बताया कि इस वक्त थाने में लापता होने की रोजाना 1-2 रिर्पोट लिखी जाती है. लोग गुस्से में परिवार तो छोड़ देते हैं. लेकिन अपने पीछे क्या छोड़ जाते हैं, उन्हें इस बात का तब एहसास होता है कि जब वह कुछ दिन अकेले गुजारते हैं. आगे उन्होंने बताया कि वह अपने 32 साल के पुलिस करियर के स्ट्रांग नेटवर्क का इस्तेमाल कर इन लापता लोगों की घर वापसी करवाती हैं.

एमआईडीसी पुलिस स्टेशन के मिसिंग स्क्वाड में कार्यरत उषा कोंडलकर ने 2021 से अब तक 575 बच्चों, महिलाओं और पुरुषों में से 536 का पता लगाई हैं और उन्हें उनके परिवारों को सौंपा है. तत्कालीन पुलिस निरीक्षक बेसरकर, भीमा नारके और वर्तमान पुलिस निरीक्षक प्रवीण काले के मार्गदर्शन में सहायक पुलिस निरीक्षक प्रशांत साबले के नेतृत्व में उन्होंने यह उपलब्धि सफलतापूर्वक हासिल की.

वे देश के विभिन्न राज्यों और जिलों में लापता व्यक्तियों की जांच और लापता व्यक्तियों का पता लगाने के लिए आवश्यक संपर्क और तकनीकी विश्लेषण, सीसीटीवी फुटेज, न्यूज पेपर में इस्तेहार, सीसीटीएनएस, आईसीजेएस, सोशल मीडिया आदि की प्रणाली का कुशलतापूर्वक उपयोग करती हैं. इससे पहले वह प्रतापनगर थाने में भी 150 गुमशुदा लोगों को ढूंढ चुकी हैं.

उन्होंने कहा कि घर से भागे हुए लोगों को ढूंढना थोड़ा मुश्किल होता है. ऐसे लोग अपना घर से अपना संपर्क तोड़ने के लिए अपना फोन वगैरा सब बंद कर देते हैं. जिससे इन्हें ट्रैक करना थोड़ा मुश्किल होता है. लेकिन लगातार उस दिशा में काम करने से उनकी टीम ऐसे लोगों को खोज निकालती है

NEWS SOURCE : news18

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