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वापस मिल सकता है पैसा! , बैंकिंग फ्रॉड का हो जाएं शिकार तो जल्दी करें ये काम

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Banking Fraud: इंटरनेट तक पहुंच आजकल कर किसी की है. सरकार की ओर से भी लोगों के काम आसान करने के लिए कई सारे काम ऑनलाइन ही किए जा रहे हैं. वहीं गांव-गांव तक इंटरनेट पहुंचाने के लिए सरकार की ओर से प्रयास भी किए जा रहे हैं. हालांकि इंटरनेट के बढ़ते इस्तेमाल के साथ ही इसका गलत इस्तेमाल भी काफी हो रहा है. वहीं कई ऐसे अपराध भी सामने आ रहे हैं जो साइबर क्राइम के अंतर्गत आते हैं. साइबर क्राइम से निपटने के लिए सरकार की ओर से कानून भी बनाया गया है. साइबर क्राइम की घटना पर रोकथाम के लिए सरकार की ओर से इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट, 2000 (Information Technology Act, 2000) लागू किया गया था.

 

 

साइबर क्राइम की बढ़ी घटनाएं

इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट, 2000 के बारे में विस्तार से बताते हुए राजकीय विधि महाविद्यालय, चूरू के प्राचार्य डॉ. एसके सैनी ने कहा कि इंटरनेट के उपयोग के साथ ही इसका दुरुपयोग बढ़ गया है, जिसके कारण साइबर क्राइम की घटनाएं भी बढ़ी हैं. डॉ. एसके सैनी के मुताबिक इंटरनेट के माध्यम से गैर-कानूनी गतिविधियों में शामिल होना, चोरी करना, इलेक्ट्रॉनिक मनी लॉन्ड्रिंग आदि साइबर क्राइम है. इससे बचने के लिए इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट, 2000 सरकार की ओर से लाया गया था. साइबर क्राइम के तहत किसी शख्स का शारीरिक रूप से घटनास्थल पर मौजूद होना जरूरी नहीं है. वहीं साइबर टेररिज्म (Cyber Terrorism) भी साइबर क्राइम की कैटेगरी में आता है.

 

 

 

बैंकिंग फ्रॉड

एसके सैनी के मुताबिक लोगों को लूटने, धोखाधड़ी जैसे काम भी आजकल इंटरनेट के माध्यम से किए जा रहे हैं. वहीं बैंकिंग फ्रॉड भी काफी बढ़ गए हैं. ऐसे मामलों को रोकने के लिए भी इस एक्ट के तहत कार्रवाई की जा सकती है. अगर कोई शख्स बैंकिंग फ्रॉड का दोषी पाया जाता है तो उस पर IT Act, 2000 की धारा 77B, 66D के तहत कार्रवाई की जा सकती है. इसके अलावा IPC की धारा 419, 420 और 465 भी जोड़ी जा सकती है. बैंकिंग फ्रॉड हो जाने पर जितना जल्दी हो सके इसकी शिकायत करनी चाहिए. जल्दी शिकायत करने पर जल्दी कार्रवाई होगी और पैसा वापस मिलने के चांस बढ़ सकते हैं.

 

 

यहां दर्ज करें शिकायत

 

 

 

फेक प्रोफाइल के लिए भी प्रावधान

अक्सर देखा जाता है कि सोशल मीडिया पर कोई शख्स किसी अन्य व्यक्ति की फर्जी प्रोफाइल बना लेता है. एसके सैनी ने बताया कि फेक सोशल मीडिया प्रोफाइल को लेकर लेकर भी आईटी एक्ट, 2000 में प्रावधान किए गए हैं. आईटी एक्ट, 2000 के तहत धारा 66B और 67 के तहत कार्रवाई की जा सकती है. वहीं अगर कोई डिजिटल सिग्नेचर का गलत इस्तेमाल करता है तो आईटी एक्ट, 2000 की धारा 66C, 71, 73 और 74 के तहत कार्रवाई की जा सकती है. इसके अलावा आईपीसी की धारा 463 और 465 भी जोड़ी जा सकती है.

 

 

साइबर टेररिज्म

एसके सैनी ने बताया कि पॉर्नोग्राफी के लिए भी आईटी एक्ट, 2000 में प्रावधान हैं. पॉर्नोग्राफी के लिए आईटी एक्ट, 2000 की धारा 67A के तहत कार्रवाई की जा सकती है. वहीं अगर कोई साइबर टेररिज्म में संलिप्त पाया जाता है तो आईटी एक्ट, 2000 की धारा 43C के तहत कार्रवाई की जा सकती है. वहीं साइबर टेररिज्म में उम्रकैद की सजा का प्रावधान है.

 

NEWS SOURCE : zeenews

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