कांग्रेस में जिला अध्यक्षों और मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति फिलहाल लटक सकती है। दरअसल हुड्डा व कुमारी सैलजा में दूरियां बढ़ रही हैं
चंडीगढ़ । साढ़े पांच साल से जिला अध्यक्षों और मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति नहीं कर पा रही हरियाणा कांग्रेस में एक बार फिर संगठन के चुनाव लटकने के आसार बन गए हैं। 31 मार्च तक सभी जिलों में अध्यक्ष और मंडल अध्यक्षों के चुनाव का लक्ष्य लेकर चल रही पार्टी में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और प्रदेश अध्यक्षा कुमारी सैलजा के बीच बढ़ रही दूरियां चुनाव में देरी की बड़ी वजह हो सकती हैैं।
राज्यसभा चुनाव के दौरान कु. सैलजा टिकट की प्रबल दावेदार थी, लेकिन पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपने राजनीतिक कौशल और हाईकमान में मजबूत पकड़ के आधार पर बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा को टिकट दिलाने में कामयाब हो गए हैैं। दीपेंद्र सिंह ने हालांकि नामांकन भरने से पहले सैलजा का आशीर्वाद भी लिया, लेकिन बताया जाता है कि सैलजा नाराज हैैं और अब इस नाराजगी का असर संगठन पर पड़ सकता है। यह अलग बात है कि राज्य में हुड्डा खेमा पूरी तरह से पावरफुल है।
हरियाणा कांग्रेस के 31 विधायकों में से 26 हुड्डा खेमे के हैैं। इसलिए हाईकमान भी हुड्डा की पसंद की अनदेखी नहीं कर पाया है। सैलजा पहले से दिल्ली की राजनीति में सक्रिय हैैं। हालांकि उन्होंने प्रत्यक्ष रूप से अपनी नाराजगी कहीं जाहिर नहीं की है, लेकिन माना जा रहा है कि अब संगठन के काम में देरी हो सकती है, क्योंकि जहां जिला अध्यक्ष व मंडल अध्यक्ष बनाने में हुड्डा की पसंद का ही ख्याल रखा जा सकेगा, वहीं कु. सैलजा भी नए जिला अध्यक्षों की नियुक्ति में कम ही रुचि लेती दिखाई दे सकती हैैं।
हरियाणा कांग्रेस के पूर्व प्रधान अशोक तंवर भी हुड्डा गुट के हावी होने के चलते अपने पूरे कार्यकाल में जिला अध्यक्षों की नियुक्ति नहीं कर पाए थे। 2014 में विधानसभा चुनाव हारने के बाद से ही पार्टी बिखरी हुई है। सभी जिला और ब्लॉक कमेटियां भंग हैं, जिसकी वजह से किसी भी जिले में न पार्टी की मासिक बैठक हो रही है न तो सामूहिक रूप से सरकार के खिलाफ कोई धरना-प्रदर्शन हो पा रहा है।
ऐसे में अब राज्यसभा चुनाव के बाद संगठन को नए सिरे से खड़ा करना हुड्डा के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। इससे भी बड़ी चुनौती हुड्डा के सामने कु. सैलजा को साथ लेकर चलने की है। सैलजा के अलावा रणदीप सिंह सुरजेवाला, बंसीलाल की पुत्रवधू किरण चौधरी और भजनलाल के पुत्र कुलदीप बिश्नोई के समर्थकों को भी संगठन में एडजेस्ट करना हुड्डा के लिए इतना आसान नहीं होगा।