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प्राईवेट स्कूल प्रबंधक अभिभावकों पर फीस जमा कराने के लिए दवाब न डालें

फरीदाबाद : शिक्षा विभाग ने स्कूल प्रबंधकों को तीसरा पत्र भेजकर कहा है कि वे अभिभावकों पर फीस जमा कराने के लिए दवाब न डालें। जो स्कूल प्रबंधक इस आदेश की अवहेलना करेगा उसके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।
अभिभावक एकता मंच ने इस तीसरे पत्र को भी एक कागजी कार्रवाई बताया है। मंच का कहना है कि हरियाणा सरकार चोर से कह चोरी कर, और साह से कह सावधान रह की नीति पर चल रही है। मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने बताया कि मंच की ओर से मुख्यमंत्री को 9 अप्रैल को एक पत्र लिखकर तथ्यों और सबूतों के साथ बताया गया था कि स्कूलों द्वारा बैलेंस शीट के साथ जमा कराए गए फार्म 6 व एफएफआरसी द्वारा की गई ऑडिट रिपोर्ट से साफ पता चलता है कि स्कूलों के पास काफी मात्रा में रिजर्व फंड है ।
जिसका इस्तेमाल हुए वे अध्यापकों ,कर्मचारियो को तनख्वाह देने में कर सकते हैं। मंच ने यह भी  लिखा था कि फीस लेने का कोई भी आदेश देने से पहले हरियाणा सरकार प्राइवेट स्कूलों के पिछले 5 साल के खातों की जांच कराएं और जो स्कूल जांच के बाद घाटे में चलता हुआ दिखाई दे उसे ही फीस लेने की अनुमति दी जाए और किसी भी हालत में शिक्षा सत्र 2020 – 21 में फीस में बढ़ोतरी न करने दी जाए । शिक्षा विभाग के इस तीसरे पत्र में इन बातों का कोई भी जिक्र नहीं किया गया है।
एक और उत्तर प्रदेश , पंजाब ,और दिल्ली सरकार आदेश न मानने  वाले स्कूल स्कूलों के खिलाफ  दंडात्मक कार्रवाई कर रही है जबकि दूसरी और हरियाणा सरकार पत्र पर पत्र भेजकर याचना के रूप में स्कूलों से आग्रह कर रही है कि वह लोकडाउन के चलते अभिभावकों पर ही फीस जमा कराने के लिए दबाव ना डालें ।   इसका मतलब यह है कि जैसे ही लोकडाउन  खुलेगा स्कूल प्रबंधक  गत शिक्षा क्षेत्र के मुकाबले वर्तमान शिक्षा सत्र में बढ़ाई गई फीस वह भी  त्रैमासिक रूप से लेने के लिए स्वतंत्र हैं ।
शिक्षा विभाग का स्पष्ट आदेश न होने के  कारण ही स्कूल प्रबंधकों के हौसले बुलंद हैं मंच ने अभिभावकों से कहा है कि वे एकजुट होकर स्कूलों की मनमानी का डटकर मुकाबला करें और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उन्हें तथ्यों और सबूतों के साथ इस विषय पर जानकारी दें। मंच उनके साथ है।

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