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पहले ही प्रयास में क्रैक किया UPSC Exam, मोबाइल खोने की FIR नहीं लिखी तो IPS बन गया बकरियां चराने वाला का बेटा

Cracked UPSC exam in the first attempt, goat herder's son became IPS as he did not file FIR for losing mobile

Cracked UPSC exam in the first attempt, goat herder's son became IPS as he did not file FIR for losing mobile
IMAGES SOURCE : GOOGLE

कोल्हापुरः महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले के कागल तहसील के यमगे गांव के एक धनगढ़ के बेटे ने कमाल कर दिया है। बिरुदेव सिद्धाप्पा ढोणे ने अपने पहले ही अटेम्ट में यूपीएससी की एक्जाम को  क्रैक कर दिया है। खंभे पर कंबल, सर पर गांधी टोपी.. हाथ में लकड़ी औऱ पैरों ये बड़ी बड़ी धनगढ़ी चप्पलें पहनकर धूप में बकरी चराने के लिए भटकने वाले धनगढ़ का बेटा यूपीएससी की परीक्षा पास हुआ और उसने 551 वी रैंक पाई है।

बिरुदेव को मिली 551वी रैंक 

अपने मामा के गांव में एक दोस्त जोर-जोर से चिल्लाते हुए आया और उसने बिरुदेव से कहा कि बिरुदेव तुम यूपीएससी की परीक्षा पास हो गए हो। अनपढ़ मां बाप वहीं पर थे। उन्हें अपना बेटा साहब बन गया है। इतना ही समझ में आया और बिरुदेव के साथ उसके मां-बाप और परिजन खुशी से झूम उठे। बिरुदेव यूपीएससी की परीक्षा पास करने वाला कागल तहसील का पहला छात्र है।  बिरुदेव ने 2024 में केंद्रीय लोकसेवा आयोग की परीक्षा दी थी। उम्र की 27वीं आयु में पहले ही अटेम्ट में बिरुदेव 551 वी रैंक से यह परीक्षा क्रैक कर गया है।

इस तरह पैदा हुआ जुनून

दरअसल बिरुदेव का मोबाइल गुम हुआ था और वह पुलिस थाने में शिकायत करने के लिए गया तो पुलिस ने उसकी मदद नहीं मिली। वहीं पर बिरुदेव ने ठान लिया कि वह आईपीएस ऑफिसर बनेगा और बिरुदेव दिन रात मेहनत करते हुए रोजाना 22 घंटे पढ़ाई करता रहा। उसने यूपीएससी की पढ़ाई के लिए दिल्ली में डेरा डाला और मां बाप का नाम रोशन किया। दसवीं और बारहवीं कक्षा में कागल तहसील के मुरगुड केंद्र में बिरुदेव अव्वल नंबर से पास हुआ और पुणे के सिओईपी इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ने के लिए दाखिल हुआ।

गरीब है बिरुदेव का परिवार

बिरुदेव के पिता सिद्धापा ढ़ोने भी बारहवीं कक्षा तक पढ़े हैं लेकिन उसके बाद अपना बकरियों को चराने का पारंपरिक व्यवसाय करते हुए उन्होंने जिंदगी बसर कर दी। बिरुदेव को बड़ा ऑफिसर बनाने का सपना देखा। जब बिरुदेव दिल्ली में यूपीएससी की तैयारी के लिए गया तो उसके पिता उसको बड़े कष्ट उठाकर 10 से 12 हजार रुपये भेजते। उतनी रकम में बिरुदेव गुजारा कर लेता। बिरुदेव ने कहा कि उसके पिता कई बार अलग नौकरी करने की सलाह देते रहे लेकिन वह जिद पर अड़ा रहा और आखिरकार वह आईपीएस ऑफिसर बन गया।

NEWS SOURCE Credit : indiatv

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