जानें रामायण की रोचक कहानी, एक-दूसरे के खून के प्यासे हो गए थे ये सगे भाई?

Ramayana story of Sugriva ad Bali: रामायण में एक पात्र हैं सुग्रीव जिन्हें प्रभु श्रीराम ने अपने प्रिय सखा के रूप में संबोधित करते हुए कहा है कि उनके जैसे आदर्श निस्वार्थ सखा संसार में बिरले ही होते हैं. एक अवसर पर श्रीराम ने सुग्रीव से कहा, ‘भैया सब भाई भरत के समान आदर्श नहीं हो सकते, सब पुत्र हमारी तरह पितृभक्त नहीं हो सकते है और सभी सुहृद तुम्हारी तरह दुख के साथी नहीं हो सकते हैं.’ इससे पता चलता है कि वानर राज सुग्रीव प्रभु राम के कितने प्रिय थे. आज हम बाली और सुग्रीव के बीच हुई शत्रुता की कहानी जानते हैं.
सुग्रीव को किष्किंधापुरी का बना दिया गया था राजा
रामायण के अनुसार, बालि और सुग्रीव दो भाई थे जिनमें परस्पर स्नेह था. बड़ा होने के नाते ही बालि वानरों के राजा थे. एक बार एक राक्षस किष्किंधा आया और बहुत जोर से गरजा तो बालि उसे मारने के लिए नगर से अकेला ही निकल पड़ा. भाई के स्नेह में सुग्रीव भी पीछे पीछे चल पड़ा. राक्षस एक बड़ी सी गुफा में घुसा तो बालि ने सुग्रीव को द्वार पर ही प्रतीक्षा करने को कहा और गुफा के अंदर चला गया. करीब एक माह बाद गुफा से रक्त की धार निकली जिसे देख सुग्रीव ने समझा की भाई मारा गया और अब राक्षस बाहर आकर उसे भी मार डालेगा. बस इसी डर से सुग्रीव ने द्वार पर एक बड़ा सा पत्थर रख दिया और किष्किंधापुरी लौट आया. यहां मंत्रियों ने मंत्रणा कर सुग्रीव को राजा घोषित कर दिया.
मजबूरी में सुग्रीव को ऋष्यमूक पर्वत पर लेनी पड़ी थी शरण
थोड़े ही दिनों के बाद बालि लौटा तो सुग्रीव को राजा देख गुस्से में उसे मारने दौड़ा. प्राण रक्षा करते हुए सुग्रीव ने मतंग ऋषि के आश्रम में शरण ली जहां शाप के कारण बालि नहीं जा सकता था. लौटकर बालि ने सुग्रीव की स्त्री और धन आदि छीन लिया. इसके बाद सुग्रीव हनुमान जी आदि चार मंत्रियों के साथ ऋष्यमूक पर्वत पर रहने लगे. सीता जी की खोज करते हुए शबरी के बताने पर श्रीराम जब अपने भाई लक्ष्मण के साथ ऋष्यमूक पर्वत पहुंचे तो हनुमान जी ने उन्हें सुग्रीव से मिलवाया. पूरी बात जानने के बाद अग्नि को साक्षी मानकर दोनों ने मित्रता की. इसके बाद श्रीराम ने उन्हें बालि का वध करके राजपाट दिलाने का आश्वासन दिया.
सुग्रीव ने मांगी श्री राम के चरणों की भक्ति
लंका विजय कर अवधपुरी लौटने पर सुग्रीव ने श्री राम से उनके चरणों की भक्ति मांगी. उन्होंने कहा प्रभो मेरा चित्त सदा आपके चरणों में लगा रहे. मेरी वाणी सदा आपका नाम कीर्तन एवं लीलागान करती रहे. हाथ आपके भक्तों की सेवा करें.
एक ही बाण में मार गिराया था बालि को
योजना के अनुसार सुग्रीव ने बालि को युद्ध के लिए ललकारा. बालि बलवान था फिर भी दोनों भाइयों में भयंकर युद्ध हुआ तभी श्रीराम ने पेड़ की ओट से एक बाण चला दिया और बालि का वध हो गया. श्री राम ने सुग्रीव को राजा घोषित किया और बालि के पुत्र अंगद को युवराज बनाया. सुग्रीव के आदेश पर वानरों की सेना सीता जी की खोज को निकली और हनुमान जी से समाचार मिला कि सीता माता को रावण लंका में हरण करके ले गया है. वानरों की सेना ने लंका पर चढ़ाई कर दी जहां सुग्रीव के युद्ध कौशल को देख रावण तक घबड़ाने लगा.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. faridabadnews24 इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
Source News: zeenews