Car Buying Tips: EMI भी होगी कम, बिना डाउनपेमेंट दिए खरीदें Car, जानें कैसे
नई कार खरीदना सभी को पसंद होता है। लेकिन ज्यादातर लोग अपनी कार को फाइनेंस करवाते हैं। कार फाइनेंस करवाने के लिए अधिकतर ग्राहक कुछ फीसदी कीमत का भुगतान करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बिना पैसे दिए भी नई कार पर 100 फीसदी फाइनेंस की सुविधा ली जा सकती है। हम इस खबर में आपको बता रहे हैं कि किस तरह बिना डाउन पेमेंट दिए कार को खरीदा जा सकता है।
कैसे मिलता है जीरो डाउन पेमेंट का विकल्प
कई बैंकों की ओर से अपने मौजूदा ग्राहकों को नई कार खरीदने के लिए जीरो डाउन पेमेंट (car loan without down payment) का विकल्प दिया जाता है। इस तरह के ऑफर को प्री-अप्रूव्ड कार लोन (Pre-Approved Car Loan Offers) के तौर पर जाना जाता है। इसके साथ ही अगर आपका क्रेडिट स्कोर काफी अच्छा है तो भी आपको बैंक की ओर से कार खरीदने के लिए जीरो डाउन पेमेंट का विकल्प दिया जा सकता है। अगर आपकी आय भी काफी ज्यादा है तो भी इसकी संभावना होती है कि बैंक की ओर से ऑफर के तौर पर यह सुविधा दी जाए। आमतौर पर इस तरह के लोन को सात साल तक की अवधि के लिए दिया जाता है। गाड़ी खरीदने के लिए भले ही आपको पैसे देने की जरूरत नहीं होती, लेकिन लोन लेने के लिए फाइल प्रोसेसिंग फीस को बैंक की ओर से लिया जाता है।
ज्यादा होता है ब्याज
आमतौर पर नई कार खरीदते हुए जब फाइनेंस करवाया जाता है तो बैंकों की ओर से 8.75 से लेकर नौ फीसदी के आस पास तक के ब्याज पर लोन देते हैं। लेकिन अगर आप अपनी कार को जीरो डाउन पेमेंट पर खरीदते हैं तो इस बात की संभावना ज्यादा होती है कि बैंक की ओर से आपको नौ से 10 फीसदी के आस पास ब्याज (Car Loan Interest Rate) लिया जाए।
जीरो डाउन पेमेंट में क्या होता है शामिल
अगर आपको बैंक की ओर से जीरो डाउन पेमेंट की सुविधा के साथ नई कार खरीदने का ऑफर (100% car loan finance) मिलता है तो इसमें कार की एक्स शोरूम कीमत, कार का रजिस्ट्रेशन, रोड टैक्स और इंश्योरेंस (Road Tax, Insurance and Ex Showroom Price) को भी शामिल किया जाता है। लेकिन कार में एक्सेसरीज को लगवाने की कीमत इसमें शामिल नहीं होती। ऐसे में ग्राहक को जीरो डाउन पेमेंट करने पर भी एक्सेसरीज के पैसे खुद से देने पड़ते हैं।
किन डॉक्यूमेंट की होती है जरूरत
अगर बैंक की ओर से आपको नई कार खरीदने के लिए जीरो डाउन पेमेंट की सुविधा दी जाती है तो कुछ डॉक्यूमेंट्स की जरूरत होती है। ज्यादातर मामलों में बैंक की ओर से आय से जुड़े कागज, आधार कार्ड, पैन कार्ड, एड्रेस प्रूफ, इंकम टैक्स रिटर्न, छह महीनों की बैंक स्टेटमेंट जैसे डॉक्यूमेंट्स की जरूरत होती है। कुछ बैंक इनके साथ ही गारंटर की भी जानकारी लेते हैं।
NEWS SOURCE : jagran