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मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स में स्पाइन ट्यूमर की जटिल सर्जरी के बाद प्रयागराज से 65 वर्षीय मरीज हुआ अपने पैरों पर खड़ा

65-year-old patient from Prayagraj stands on his feet after complex surgery for spine tumor at Maringo Asia Hospitals

65-year-old patient from Prayagraj stands on his feet after complex surgery for spine tumor at Maringo Asia Hospitals
Faridabad: मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स में ब्रेन एवं स्पाइन सर्जरी टीम ने उत्तर प्रदेश राज्य के प्रयागराज निवासी 65 वर्षीय राम मनोहर की रीढ़ की हड्डी में गंभीर ट्यूमर का सफल ऑपरेशन कर उसे अपने पैरों पर खड़ा करने में बड़ी सफलता हासिल की है। मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स में ब्रेन एवं स्पाइन सर्जरी विभाग के प्रोग्राम क्लिनिकल डायरेक्टर एवं एचओडी डॉ. तरुण शर्मा ने बताया कि 65 वर्षीय राम मनोहर जी रेलवे हॉस्पिटल से हमारे पास आए। उस समय मरीज बिस्तर से उठने की हालत में नहीं थे। मरीज का अपने पेशाब और पॉटी पर नियंत्रण भी खत्म हो गया था। मरीज की पहली रिपोर्ट्स के अनुसार, मरीज की रीढ़ की हड्डी के कॉलम में गले के नीचे वाली जगह पर हिमेन्जिओमा ट्यूमर था जो आसपास के टिश्यू में भी फ़ैल रहा था और स्पाइन की प्रमुख नस (स्पाइनल कॉर्ड) को दबा रहा था। इसलिए मरीज के दोनों पैरों में कमजोरी आ रही थी।
बिना देरी किए हमने मरीज के कुछ जरूरी टेस्ट किए। अगले दिन मरीज की सर्जरी की गई। सर्जरी करके स्पाइन की खराब हड्डी एवं ट्यूमर को निकालकर रीढ़ की हड्डी की प्रमुख नस से प्रेशर हटाया गया। ट्यूमर की वजह से स्केलेटन कमजोर हो गया था इसलिए रीढ़ की हड्डी को सपोर्ट देने के लिए स्पाइन में स्क्रू और रॉड डालने पड़े ताकि स्केलेटन मजबूत रहे। सर्जरी सफल रही और सर्जरी करने के अगले ही दिन मरीज के पैरों में दर्द और अकडन ख़त्म हो गई। मरीज ने हाथ पकड़कर चलना शुरू कर दिया। फिर 5 दिन बाद मरीज को डिस्चार्ज कर दिया। मरीज का रेलवे पैनल के अंतर्गत निःशुल्क इलाज हुआ क्योंकि मरीज भारतीय रेलवे से सेवानिवृत हैं।
अगर अब इलाज न होता तो मरीज के पैरों की ताकत स्थाई रूप से जाने की आशंका बढ़ सकती थी। सर्जरी के दौरान मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स में ब्रेन एवं स्पाइन सर्जरी विभाग से कंसल्टेंट डॉ. सचिन गोयल और एसोसिएट कंसल्टेंट डॉ. मनीष मिश्रा का भी विशेष योगदान रहा। परिजन के अनुसार, मरीज लगभग 2 महीने से दोनों पैरों में कमजोरी की समस्या से परेशान थे और उनके पैरों में कमजोरी बढ़ती जा रही थी। इस बीमारी के कारण वह न केवल बिस्तर पर ही सीमित रह गए बल्कि पेशाब और पॉटी पर नियंत्रण भी खत्म हो गया। मरीज को पहले रेलवे हॉस्पिटल ले जाया गया। फिर बनारस के बड़े हॉस्पिटल में ले जाया गया। वहां मरीज की बहुत सारे टेस्ट किए गए। इसके बाद मरीज फिर रेलवे हॉस्पिटल वापस आ गया, वहां जाँच में मरीज की रीढ़ की हड्डी के कॉलम में गले के नीचे वाली जगह पर ट्यूमर का पता चला। इसके बाद मरीज को फरीदाबाद सेक्टर-16 स्थित मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स में लाया गया।
डॉ. तरुण शर्मा ने कहा कि यह केस काफी चुनौतीपूर्ण था क्योंकि ट्यूमर मरीज की पूरी रीढ़ ही हड्डी वाले हिस्से में फैल रहा था और स्पाइन की नस को दबा रहा था। इस स्थान पर नस मोटी होती है और जगह भी कम होती है इसलिए यहाँ सर्जरी करने में काफी मुश्किल आती है। इस तरह का ट्यूमर बहुत ही कम देखने को मिलता है और इसमें ब्लीडिंग ज्यादा होती है। मरीज डायबिटिक भी है। सर्जरी करने में लगभग 3 घंटे का समय लगा। सर्जरी सफल रही। बुजुर्ग लोगों में पेशाब पर नियंत्रण खो जाने की स्थिति को अक्सर प्रोस्टेट बढ़ने से जोड़कर देखा जाता है। इसलिए लोगों को गलतफहमी हो जाती है। ध्यान रहे: पैरों में कमजोरी आने, पेशाब पर नियंत्रण खो जाने पर न्यूरो सर्जन की सलाह लेना भी जरूरी है क्योंकि ऐसा न हो कि प्रोस्टेट के चक्कर में स्पाइन खराब हो जाए।

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